दिल्ली के द्वारका सेक्टर 12 में 13 जुलाई 2025 को हुई इस जघन्य घटना ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। 35 वर्षीय करण देव की मौत, जो शुरू में एक हादसा समझी जा रही थी, बाद में पुलिस की गहन जांच और फोरेंसिक रिपोर्ट की मदद से एक सुनियोजित हत्या के रूप में सामने आई। पुलिस ने इस हत्या के पीछे पत्नी सुष्मिता और उसके चचेरे भाई राहुल की साजिश को पकड़ लिया है। इस मामले ने घरेलू हिंसा, पति-पत्नी के विवाद और कानूनी व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर किया है।
मामले का प्रारंभ: संदिग्ध मौत से हत्या की ओर
13 जुलाई की सुबह पुलिस को सूचना मिली कि करण देव की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई है। पत्नी सुष्मिता ने बताया कि करण को करंट लग गया था। लेकिन जब शव पोस्टमार्टम के लिए ले जाने की बात आई, तो परिवार के सदस्यों ने आपत्ति जताई, जिससे पुलिस को शक हुआ। मामले की जांच तेज की गई।
प्रारंभिक पुलिस रिपोर्ट में यह बताया गया कि मौत करंट लगने से हुई। लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने मामला और गहरा कर दिया। रिपोर्ट में पाया गया कि करण को लगभग 15 नींद की गोलियाँ दी गईं थीं। जब दवाओं से मौत नहीं हुई तो हत्या करने वालों ने करंट लगाया। शरीर पर जलने के निशान, बंधे हुए निशान और घाव इस बात का सबूत थे कि यह एक योजनाबद्ध हत्या थी।
हत्या की साजिश: व्हाट्सऐप चैट्स ने खोला राज
करण के भाई कुणाल ने करण का मोबाइल जब जांचा तो व्हाट्सएप चैट्स के जरिये हत्या की पूरी साजिश का पता चला। सुष्मिता और राहुल की बातचीत में न केवल नींद की गोलियों की मात्रा पर चर्चा थी, बल्कि करंट से हत्या करने की योजना भी साफ थी।
सुष्मिता: देखो दवा खाकर मरने में कितना टाइम लग रहा है, तीन घंटे हो गए, न उल्टी हो रही है, न पॉटी, कुछ नहीं। मरा भी नहीं है।
राहुल: अगर कुछ और समझ नहीं आ रहा, तो करंट दे दो।
सुष्मिता: कैसे बाँधूं उसे करंट देने के लिए?
राहुल: टेप से बाँधो।
सुष्मिता: सांस बहुत धीरे चल रही है।
राहुल: जितनी दवा है, सब दे दो।
सुष्मिता: मुंह नहीं खुल रहा, पानी डाल सकती हूँ, पर दवा नहीं दे पा रही। तुम आ जाओ, मिलकर कोशिश करते हैं।
पुलिस की कार्रवाई और गिरफ्तारी
व्हाट्सएप चैट्स के आधार पर दिल्ली पुलिस ने तुरंत सुष्मिता और राहुल को गिरफ्तार कर लिया। दोनों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया गया। पूछताछ में दोनों ने जुर्म कबूल किया। पुलिस ने मोबाइल, CCTV फुटेज और फोरेंसिक रिपोर्ट की मदद से आरोप सिद्ध करने की प्रक्रिया तेज की।
सामाजिक और कानूनी पहलू
यह घटना समाज में पुरुषों की भी घरेलू हिंसा और षड्यंत्र का शिकार होने की समस्या को उजागर करती है। अब जरूरत है कि कानूनी व्यवस्था पुरुषों के सुरक्षा की भी सुनिश्चित करे। जेंडर न्यूट्रल कानून बनाना अत्यंत आवश्यक हो गया है ताकि सभी पक्षों की रक्षा हो सके। इस केस ने साफ कर दिया कि सामाजिक और कानूनी सुधार की दरकार है।
अपराधियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई और संभावित सजा
हत्या के इस मामले में भारतीय दंड संहिता (IPC) की संबंधित धाराओं के तहत सुष्मिता और राहुल को गंभीर सजा का सामना करना पड़ेगा। हत्या की साजिश और क्रूरता को देखते हुए अदालत सजा को कठोरतम कर सकती है। पुलिस भी इस मामले में जल्द न्याय सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है।
पुलिस की भूमिका और जांच की पारदर्शिता
इस केस में दिल्ली पुलिस ने बेहद कुशल और पारदर्शी जांच की है। प्रारंभ में संदिग्ध मौत को गंभीरता से लिया गया और परिवार की असहमति को लेकर सतर्कता बरती गई। पुलिस ने तकनीकी साधनों का उपयोग कर अपराधियों का पर्दाफाश किया। यह पुलिस विभाग की साख और जनता के विश्वास के लिए एक सकारात्मक उदाहरण है।
घरेलू हिंसा के खिलाफ जागरूकता
घरेलू हिंसा केवल महिलाओं तक सीमित नहीं है, पुरुष भी इसके शिकार हो सकते हैं। इस घटना ने समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि सभी के लिए सुरक्षा व्यवस्था और सहारा उपलब्ध कराना कितना महत्वपूर्ण है। समाज में जागरूकता, कानूनी समर्थन और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता को भी रेखांकित किया गया है।
निष्कर्ष: समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी
करण देव की हत्या केवल एक हत्या का मामला नहीं है, बल्कि समाज को यह संदेश है कि सुरक्षा, न्याय और समानता की व्यवस्था में सुधार लाना अनिवार्य है। अपराध और घरेलू हिंसा से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे ताकि कोई भी व्यक्ति असुरक्षित महसूस न करे। इसके बिना ऐसे अपराध बढ़ते रहेंगे और समाज की बुनियाद कमजोर होती जाएगी।
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